चकला बेलन
बड़ी पुरानी बात है एक बार 2 दोस्त राम और श्याम किसी काम से शहर से अपने गाँव की ओर जा रहे थे। गर्मी बड़ी ज़ोरो की थी ,चलते चलते दोनों थक गए थे ,प्यास भी बड़ी ज़ोरो की लग रही थी। तभी उनकी नज़र सामने एक कुँए पर पड़ती है। वहाँ कुछ महिलाएं पानी भर रही होती है।
राम, "श्याम " से कहता है - अरे वो देख कुआँ ,वहां पर कुछ औरतें पानी भी भर रही है चलो वही चलते है ,पानी पी कर फिर गाँव की तरफ बढ़ेंगे।
श्याम कहता है - ठीक है दोस्त चलो चलते है। फिर हमें शाम तक गाँव भी पहुँचना है।
तभी राम कुछ सोचते है एकदम से कहता है - अरे यार एक बात सोच रहा था ,कुछ चल रहा है मन में।
श्याम तपाक से बोलता है - अरे बोल बोल ,क्या बोलना चाहता है ?
राम कहता है - "अरे मैंने एक बात गौर की देख ,उन महिलाओँ में से कुछ महिलाएं सजी संवरी हुई है। कपडे भी नए लग रहे है। वही कुछ औरते थोड़े पुराने जैसे कपड़ो में है ,बाल भी ठीक से नहीं बने है। लग तो सब सहेलियाँ रही है ,पर कितना अंतर है सबके पहनावे और रहने के तरीके में। मेरा तो मानना है सबको साफ़ सुथरे ठीक से रहना चाहिए। कम से कम पहनावे पे ध्यान रखना चाहिए। स्वच्छता से रहना चाहिए ये नहीं के कैसे भी रहो "
श्याम ,राम की सारी बाते ध्यान से सुन रहा था। अब श्याम "राम" को समझाते हुए कहता है - "अरे यार तू भी ना , ऐसा थोड़ी होता है के सिर्फ अच्छे कपडे पहने से या तैयार हो कर, प्रसाधन सामग्री उपयोग करने वाली महिलाएं ही स्वच्छ होती है या वही घर को सजा के साफ़ करके रख सकती है। में तेरी इस बात से बिल्कुल भी सहमत नहीं हूँ।"
अब राम "श्याम " से अकड़ते हुए कहता है , लेकिन ये पता कैसे लगेगा की किसकी सोच सही है और किसकी गलत।
तभी श्याम को एक युक्ति सूझती है और वो राम को अपना प्लान बताता है। राम भी उसके प्लान से सहमत होता है।
अब वो कुंए की और आगे बढ़ते है और जैसे ही वो कुंए के पास जाते है राम अपने बनाये हुए प्लान के हिसाब से अभिनय करना शुरू कर देता है - "अरे मर गया बचाओ बचाओ। "
सभी महिलाएं उसके पास एकत्रित हो जाती है। और कहती है - "अरे क्या होगया भाई साहब".
तुरंत श्याम जवाब देता है अरे बहिन जी इसे अजीबो गरीब नाम की एक बीमारी है जिसे "चकला बेहोशी " कहते है और ये आसानी से नहीं उठेगा । अब तो इसे फिर से होश में लाने के लिए एक ही उपाय है।
वो महिलाये पूछती है "ये कौन सी बीमारी है ? हमने तो कभी नाम नहीं सुना फिर भी क्या उपाय है भैया ? हमें भी बताओ ,हम भी तनिक कोशिश करे मदद करने की ?"
श्याम बोलता है - "देखिये बहिनजी इस बीमारी में इंसान को चकला बेलन धो के उसका पानी पिलाना पड़ता है , तब जा के मरीज़ ठीक होता है ।"
सभी महिलाये कहती है -"ठीक है इसमें क्या बड़ी बात है अभी हो जायेगा अभी घर से चकला बेलन ले कर आते है और उसे धो कर इन्हे उसका पानी पिला देते है। "
पर श्याम बीच में उन्हें टोक कर कहता है - "अरे नहीं बहनजी पहले पूरी बात तो सुन लीजिये ,चकला बेलन का पानी तो पिलाना है ,लेकिन चकला बेलन कम से कम 2 -3 दिन से धुला नहीं होना चाहिए " .
"मतलब ? समझ नहीं आया भैया।" सभी महिलाये एक स्वर में कहती है।
श्याम कहता है - " मतलब ये के जो रोज़ चकला बेलन धोते है वो पानी नहीं , जिस चकले बेलन पर रोटी तो बन रही है पर चकला बेलन 2 -3 दिन से नहीं धुला हो , ऐसे चकले बेलन का पानी चाहिए तब जा के ये ठीक होगा "
" ओह्ह्ह तो ये बात है "-महिलाये कहती है। लगभग सभी महिलाये इंकार कर देती है क्यूंकि वो तो रोज़ चकला बेलन धोती है तो इस प्रकार से तो शर्त को पूरा नहीं कर सकती।
तभी उसी बीच सजी संवरी नए नवेले कपड़े पहनें हुए एक महिला कहती है - "अरे भैया ,बस इतनी सी बात ,चलिए मेरे घर। मेरा चकला बेलन भी तो पुरे 3 दिन से नहीं धुला है अभी उसको धो के पानी देती हूँ "
बस फिर क्या था ये सुनते ही राम चौंक के आँखे खोलता है ,दोनों दोस्त एक दूसरे की तरफ देखते है. राम मन ही मन सोचता है- 'हे भगवान 3 दिन से नहीं धुले चकला बेलन का पानी पीना पड़ेगा ? कहाँ फस गए यार'
श्याम उसके हाव भाव से उसके मन की बात समझ जाता है। अब आगे होना क्या था?
राम और श्याम ,किसी तरह बहाने बना कर बच बचा के वहां से निकलते है। जैसे ही वो उस गाँव से आगे निकलते है। एक दूसरे को देख कर कुंए वाली घटना याद कर के जोर जोर से हँसना शुरू कर देते है।
राम कहता है -" दोस्त आज तो मर जाते तूने तो बचा लिया और सबसे अच्छी बात एक सीख भी मिल गयी के किसी का रंग रूप को देख कर या पहनावे को देख कर हम उसके बारे में कोई निर्णय नहीं कर सकते और नाही हमें किसी के बारे में ऐसा कहने का कोई अधिकार है " आगे से कभी भी किसी के बारे में उसे जाने बिना कोई टिपण्णी नहीं करूँगा।
और इसी तरह दोनों बाते करते करते अपनी मंज़िल ,अपने गाँव को पहुंच जाते है।
नोट - यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है यह किसी भी व्यक्ति विशेष को नहीं दर्शाती है। इस कहानी का लक्ष्य किसी को ठेंस पहुंचना या अपमान करना नहीं है।
इसका उद्देश्य सिर्फ यह बताना था के हमें किसी को जज करने का कोई अधिकार नहीं है। सभी अपनी अपनी जगह अपने रास्ते पर चलते हुए सही है।
Nana ji ki yad agye 😂😂😂
ReplyDeleteVery beautiful story.. Which also gives us a important moral learning.
ReplyDeleteBohot hi sunder kahani... Don't judge without knowing facts
ReplyDeleteNice story paridhi
ReplyDeleteNice story
ReplyDelete“Be more concerned with your character than your reputation, because your character is what you really are, while your reputation is merely what others think you are.”
ReplyDeleteAchhi h,Kalpnik h, but feeling real wali aayi.Good msg to people by this story.
ReplyDeleteक्या बात।।।
ReplyDeleteभले ही काल्पनिक है पर कहीं हकीकत के करीब भी ।बहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteShaandaar story👍👍... We all can relate with it very well
Deletevery well written dear... so nice
ReplyDeleteThank you all of you for your valuable feedback & comments
ReplyDeleteVery nic
ReplyDeleteVery nice story👌👌
ReplyDeleteKahi na kahi yeh judge karne ki kabiliyat hum sab me he aur galati isme kisi ki nahi Balki yeh hume bachpan se dekhne Ko Mila he ...ha me kahani se sahmat hu par thoda Dhyan apne par rakhkar aacha dikhne me bhi burai nahi he Lekin ha agar judgemental attitude he to woh zarur galat he ....:)
ReplyDeleteStory is very good can be a part of children's story book.
ReplyDeleteरचनाकार की रचना व्यावहारिक है। 👍
ReplyDeleteNice story
ReplyDelete👍
ReplyDeleteIt's superb story.. .Moral is that don't judge anyone before knowing it
ReplyDeleteKya baat hai paridhi mam
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