सुना था एक औरत ही दूसरी औरत की दुश्मन होती है। भाग -2

मधुमिता - कोई बात नहीं बहु ,में समझाउंगी उसे। ..... लेकिन तुम क्यों उसके पीछे पड़ी रहती हो । करने दो उसे उसकी मन की घूम फिर के तो तुम्हारे पास ही आएगा । होता है कई बार आदमी भटक जाता है।  समय के साथ साथ सब ठीक हो जाता है। क्यों अपनी गृहस्थी बर्बाद कर रही हो  ?

विदुषा विरोध करते हुए -माँ उन्होंने मुझपे हाथ उठाया। ..आपको ये नार्मल लगता है ? आप जानती है के विक्रम का अफेयर उस फ्लॉप एक्ट्रेस रिम्मी के साथ चल रहा है। ... ही इज़ चीटिंग मी। .... कई बार उसके साथ हॉलीडेज पर जा चुके है। ..और तो और आज का न्यूज़ पेपर देखिये क्या क्या लिखा है इन दोनों के लिए।

                                                             (Image source:Internet)


मधुमिता - तो क्या हुआ ?  गिरीश और मेरी लाइफ में भी कई उतर चढ़ाव आये है लेकिन मैंने तुम्हारी तरह ओवररेअक्ट नहीं किया। ... और रही बात अफेयर की तो कोई बात नहीं संभल जायेगा कुछ दिनों में और एक अच्छी पत्नी का काम होता है उसके पति का हर परिस्तिथि में साथ देना।
" और  हां रही बात न्यूज़ पेपर की तो विक्रम ठहरा इतना बड़ा बिज़नेसमेंन और रिम्मी भी ठीक ठाक ही एक्ट्रेस है खबरे तो आएँगी ही। इन न्यूज़ पेपर वालो का तो यही धंधा है हम जैसे सेलेब्स की और हमारे बच्चो की पर्सनल लाइफ में झाँकना। इतना मत सोचो बेटा। उस दिन समझाया था न तुम्हे। औरत कितनी भी बड़ी क्यों न बन जाये उसे पग पग पर अग्नि परीक्षा तो देना ही पड़ती है ,यही तो औरत का जीवन है। और फिर तुम्हे  किस बात की चिंता हाई प्रोफाइल लाइफ है। शॉपिंग करो घूमो फिरो , एन्जॉय करो. वो किसी के साथ कुछ भी करे लेकिन तुम ही तो उसकी ऑफिसियल वाइफ हो न।"

विदुषा - बस बहुत होगया माँ । .... अब इस घर मे ,एक और मिनट नहीं रहूंगी। .. आज विक्रम ने मेरे आत्मसम्मान को बहुत गहरा धक्का दिया है और माँ आप। .. आप तो नारीशक्ति फाउंडेशन  की हेड है ,इतनी बड़ी समाजसेविका है और विक्रम के इस बर्ताव पे आप उसे कुछ नहीं कहेंगी ,में हैरान हूँ।

मधुमिता - देख लो बहु आगे तुम्हारी मर्ज़ी। ... मैंने जो पहले कहा था वही कहूँगी  और फिर सही तो कहता है  वो उसके पास तो और भी कई अच्छे रिश्ते थे लेकिन उसने तुम्हे चुना। मैंने भी अपनी लाइफ में कई समझौते किये है ,सबको करने पड़ते है एडजस्टमेंट ,तभी रिश्ता टिकता है।तुम तो उसे अब एक गर्लफ्रेंड के रूप में  रिझाने की कोशिश करो शायद वो फिर से तुम्हारे पास फिरसे आजाये।

विदुषा - "माँ अब में और नहीं सहूंगी। में जा रही हूँ अपने घर। .... उनकी ये घिनौनी हरकते में कब से बर्दाश्त  कर रही थी। ..  और कभी ड्रग्स तो कभी शराब । . . मेरा बार बार अपमान। . ,,में जा रही हूँ इस बार कभी वापस न आने के लिए जा रही हूँ और हां सोचा था आप एक औरत है तो आप मेरे दर्द को समझेंगी लेकिन आपने भी निराश किया है।"

मधुमिता - ठीक है बहु ,जो तुम्हे जो ठीक लगे वो करो । ये आजकल की लड़किया 4  किताबे पढ़ के अपने आपको पता नहीं क्या समझती है। ... इतना भी नहीं जानती पति का दर्जा क्या होता है ? अरे मर्द तो होते ही ऐसे है।  मन चंचल होता है उनका , तुम्हारा काम है के उसे समय दो समझाओ ,उसे सही रास्ता दिखाओ।
" और हां विदुषा जाते जाते सुन लो। .. जहाँ मेरे बेटे का साथ देना चाहिए उसे सही रस्ते पर लाना चाहिए उल्टा तुम्ही हमें आँखे दिखा के जा रही हो। कान खोल के सुन लो हमारी जो करोड़ो की प्रॉपर्टी है उसका एक तिनका भी नहीं मिलेगा तुमको। जाओ जाना है तो जाओ शौक से। "

विदुषा चुपचाप अपने कपडे सूटकेस में रख के ,आंसू का अम्बार आँखों में भरे हुए , घर से निकल जाती है।

कुछ महीनो बाद..... ... ...

विदुषा अनमनी सी टीवी के सामने बैठे बैठे न्यूज़ देख रही है.अचानक टीवी पर कोई जानी पहचानी आवाज़ आती है।
"एंड द नारी शक्ति सम्मान अवार्ड फॉर वीमेन एम्पावरमेंट गोस टू द वेटेरन एक्ट्रेस एंड ब्यूटीफुल लेडी ऑफ़ द ईव - मधुमिता सिंह  "

विदुषा स्तब्ध है। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा है के उसकी सास और भूतपूर्व अभिनेत्री मधुमिता सिंह को ये अवार्ड मिल रहा है। ये देख कर उसके आंसू नहीं थम रहे। उसे वो एक एक पल याद आ रहा है जब उसकी सास ने अपने बेटे की गलतियों पर पर्दा डाला और विदुषा के साथ अन्याय होते देखते हुए भी चुप रही।

आखिर बहु भी तो एक औरत  है।  वो क्यों उसके मन का दुःख जान नहीं पा रही है। वो क्यों उसके आत्मसम्मान पर प्रहार होते देख भी चुप है। क्या वो जो नारी कल्याण का नारा देती रहती है सब ढ़ोंग है। क्यों उसे अन्याय सेहन करने के पाठ पढाया जा रहा है। ये क्यों नहीं सिखाया जा रहा है के ,अन्याय सहना भी गलत है और दुसरो के साथ अन्याय करना भी गलत है।

इन सवालो ने जवाबो ने उसके मन को इतना गहरा आघात दिया है के आज विदुषा एक रिहैब सेण्टर में है अपने डिप्रेशन से लड़ने की कोशिश कर रही है।

क्यों ऐसा होता है के सदियों से औरतो पे अत्त्याचार होते चले आ रहे है। क्यों गांधारी ने अपनी कुलवधू द्रौपदी की अस्मिता पर हाथ डालने वाले अपने बेटो के हाथ नहीं काटे ।  इतना बड़ा महाभारत शायद नहीं होता अगर गांधारी उसी क्षण अपने दुराचारी बेटो को मृत्युदंड देदेती ,किन्तु शायद यही विडम्बना है हमारे समाज की।

हम आगे तो बढ़ रहे है महिलाये एक दूसरे का साथ भी दे रही है किन्तु कही न कही फिर भी हमें और सुधार की जरुरत है। एक दूसरे के प्रति और ज्यादा संवेदनाएं रखने की जरुरत है। ताकि हम ये कह पाए के -
"एक औरत ही दूसरी औरत की सबसे बड़ी हमदर्द होती है। "






यह कहानी कॉपीराइट के अधीन है.

{यह कहानी सिर्फ एक कल्पना है.इसका उद्देश्य सिर्फ समाज के कुछ पहलुओं को प्रकाश में लाना है इसका उद्देश्य किसी की भावनाये आहत करने का नहीं है।}





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